सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और आरबीआई से कहा कि केवी कामथ कमेटी की सिफारिश पर कर्ज पुनर्गठन की सिफारिश कोविद-19 से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों के तनाव के कारण की जाए, साथ ही उनके द्वारा जारी किए गए नोटिफिकेशन और सर्कुलर में ऋण स्थगन के मुद्दे पर भी। सर्वोच्च न्यायालय का निर्देश तब आया जब वित्त मंत्रालय ने व्यक्तिगत उधारकर्ताओं के साथ-साथ मध्यम और लघु उद्योगों को छह महीने की स्थगन अवधि के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण पर लगाए गए चक्रवृद्धि ब्याज (ब्याज पर ब्याज) से सहमत होकर राहत देने का फैसला किया। महामारी के कारण की घोषणा की।


सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के हलफनामे पर असंतोष जताते हए.कहा कि केंद्र के हलफनामे में मामले में उत्पन्न होने वाले कई मुद्दों से नहीं निपटा गया है. आरबीआई या किसी अन्य प्राधिकरण द्वारा कोई परिणामी सर्कुलर जारी नहीं किया गया है. कामत कमेटी की सिफारिशों पर भी विचार किया जाना है. रिपोर्ट को जरूरतमंद व्यक्तियों को भी प्रसारित किया जाना है.


सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारे पहले के आदेश में RBI या अलग-अलग बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों पर  हलफनामा दाखिल करना है. अदालत ने केंद्र सरकार, आरबीआई  और बैंकों को जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया. अदालत ने कहा कि हितधारक भी इन हलफनामों का जवाब देंगे. अदालत ने रियल स्टेट व अन्य पर भी राहत पर विचार करने को कहा है. मामले में अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी.


रियल एस्टेट डेवलपर्स ने सरकार के हलफनामे पर एतराज़ जताया. CREDAI ने अदालत में कहा कि हलफनामे में सरकार के बहुत सारे तथ्य और आंकड़े बिना किसी आधार के हैं. हलफनामे में सरकार द्वारा लिखे गए 6 लाख करोड़ रुपये पर भी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि केंद्र से रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए कोई राहत नहीं मिली है. केंद्र द्वारा हमें कोई ऋण पुनर्गठन नहीं दिया गया. एक सितंबर से हमें पूरा ब्याज देना होगा.


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