2014 में सत्ता में आई मोदी सरकार ने कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा उसका सर्वोच्च एजेंडा है। तब से, रक्षा खर्च को बढ़ाकर सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण के लिए कई कदम उठाए हैं। हालांकि, सशस्त्र बलों की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार को वित्त वर्ष 2021-22 के लिए एक बार फिर से रक्षा बजट में बढ़ोतरी करनी पड़ सकती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) और नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर चीन और पाकिस्तान के दोहरे खतरे को देखते हुए, केंद्र सीधे दूसरे वर्ष के लिए रक्षा बजट में बढ़ोतरी कर सकता है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि केंद्र आगामी वित्तीय वर्ष में सशस्त्र बलों के लिए 'मेक इन इंडिया' उत्पादों की खरीद पर ध्यान केंद्रित करेगा।

पिछले साल केंद्र ने रक्षा क्षेत्र में भारत को 'आत्मनिर्भर' बनाने के लिए बख्तरबंद वाहनों, असॉल्ट राइफलों, मिसाइलों इत्यादि सहित 101 रक्षा वस्तुओं के आयात पर भी प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। इसने रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को स्वचालित मार्ग के तहत 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत कर दिया था।

सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने गुरुवार को कहा, "रक्षा में आत्मनिर्भरता आज रणनीतिक आवश्यकता बन गई है।

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