कोलकाता की एक अदालत यहां सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में ऑन-ड्यूटी डॉक्टर से बलात्कार और हत्या के दोषी संजय रॉय की सजा की मात्रा सोमवार को सुनाएगी।
जिन आरोपों के तहत रॉय को दोषी ठहराया गया है, उनमें न्यूनतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है, जबकि अधिकतम सजा मृत्युदंड हो सकती है।
सियालदह अदालत के अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिर्बान दास ने शनिवार को रॉय को पिछले साल 9 अगस्त को अस्पताल में स्नातकोत्तर प्रशिक्षु के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराया था। 
इस जघन्य अपराध के कारण देश भर में आक्रोश फैल गया था और लंबे समय तक विरोध प्रदर्शन हुआ था। 
कोलकाता पुलिस के पूर्व नागरिक स्वयंसेवक रॉय को अस्पताल के सेमिनार कक्ष में 31 वर्षीय चिकित्सक का शव मिलने के एक दिन बाद 10 अगस्त, 2024 को गिरफ्तार किया गया था। 
डॉक्टर के साथ यौन उत्पीड़न करने और उसकी गला दबाकर हत्या करने का दोषी पाए गए रॉय को शनिवार को न्यायाधीश ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 64, 66 और 103(1) के तहत दोषी ठहराया।
बीएनएस की धारा 64 (बलात्कार) में कम से कम 10 साल की सजा का प्रावधान है और यह आजीवन कारावास तक हो सकती है। धारा 66 (मौत कारित करने या पीड़ित की लगातार अस्वस्थता के लिए सजा) में कम से कम 20 साल की सजा का प्रावधान है जिसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास या मौत होगी। 
बीएनएस की धारा 103(1) (हत्या) में अपराध के दोषी व्यक्ति को मृत्युदंड या आजीवन कारावास का प्रावधान है। 
न्यायाधीश ने कहा कि 160 पन्नों से अधिक का फैसला, जो सोमवार को सजा सुनाए जाने के बाद पूरा होगा, शिकायतकर्ता, पीड़ित के पिता द्वारा उठाए गए कुछ सवालों का भी स्पष्ट रूप से जवाब देगा। 
दास ने कहा कि उन्होंने फैसले में पुलिस प्राधिकरण के साथ-साथ अस्पताल प्राधिकरण की कुछ गतिविधियों की भी आलोचना की है. 
कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा मामले की जांच कोलकाता पुलिस से केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित कर दी गई थी।

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