तो क्या आप जानते हैं कि इन ग्रहों को नाम कैसे दिया जाता है? इसकी प्रक्रिया मजेदार है। इसके बारे में हम आपको आगे बता रहे हैं।
किसी ग्रह को दिए जाने वाले नाम का अंतिम निर्णय अंतरराष्ट्रीय खगोल वैज्ञानिक संघ (IAU - International Astronomical Union) की एक समिति द्वारा किया जाता है।
आईएयू एक खगोल वैज्ञानिकों की वैश्विक संस्था है।लेकिन आईएयू भी हर नाम को अनुमति नहीं देती। इसके लिए कुछ नियम बने हुए हैं। क्या हैं वो नियम, आगे की स्लाइड्स में पढ़ें।
- जब किसी छोटे ग्रह की बात होती है, तो इस मामले में उसकी खोज करने वाले व्यक्ति के पास उस ग्रह के नाम का सुझाव देने का अधिकार होता है।
- यह अधिकार खोजकर्ता के पास ग्रह की खोज के 10 साल बाद तक रहता है।
- सबसे पहले किसी ग्रह को एक अस्थाई नाम दिया जाता है।
- इस नाम में उस ग्रह के खोज का साल, दो अल्फाबेट और दो अन्य नंबर दिए जाते हैं। जैसे साल 2006 में ढूंढे गए एक ग्रह को पहले '2006VP32' नाम दिया गया था।
- फिर जब उस ग्रह के ऑर्बिट का पता चल जाता है और कम से कम चार जगहों पर उसका उल्लेख किया जाता है, तब इसे एक स्थाई नंबर दिया जाता है।
- इसके बाद खोजकर्ता को उस ग्रह के लिए एक नाम का सुझाव देने के लिए आमंत्रित किया जाता है।
- प्रस्तावित नाम में 16 या इससे कम कैरेक्टर होने चाहिए।
- यह नाम किसी के लिए अपमानजनक नहीं होना चाहिए।
- प्रस्तावित नाम पहले से दिए जा चुके नाम से मिलता-जुलता नहीं होना चाहिए।
- पालतू जानवरों या व्यवसायिक प्रवृत्ति के नाम नहीं दिए जा सकते।
- राजनेताओं और सैनिकों के नाम उनकी मृत्यु के 100 साल बाद ही प्रस्तावित किए जा सकते हैं।
- ग्रह किस जगह स्थित है, इस बात पर भी नाम का चुनाव निर्भर करता है।