एम्स में न्यूरोसर्जरी के प्रोफेसर डॉक्टर पी. शरत चंद्र ने कहा है कि कोविड-19 के मरीज़ों में पाया जा रहा ब्लैक फंगस इन्फेक्शन म्यूकरमाइकोसिस नया नहीं है लेकिन यह पहले कभी महामारी की तरह नहीं हुआ। म्यूकरमाइकोसिस के संभावित कारण बताते हुए डॉक्टर शरत ने कहा, "2-3 सप्ताह तक एक मास्क का उपयोग करने से ब्लैक फंगस हो सकता है।"

एम्स नई दिल्ली में रेमोटॉलोजी डिपार्टमेंट की हेड डॉ. उमा कुमार का कहना है कि हम कई सप्ताह से, कई मामलों में महीनों से स्टेरॉयड्स का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन मैंने अपने करियर में ब्लैक फंगस के मामलों में ऐसी बढ़ोतरी नहीं देखी। इसमें अन्य कारक भी शामिल हैं और इनकी जांच होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि फंगल इन्फेक्शन को लेकर हेल्थकेयर असोसिएट्स में भी चिंतित हैं।

फोर्टिस सेंटर फॉर डायबिटिज, ओबेसिटी एंट कोलेस्ट्रोल के डॉ. अनूप मिश्रा का कहना है कि ल्यूकोमिया, एड्स, किडनी और लिवर रोगों से जुड़े मरीजों में म्यूकोरमाइसिस होने की आशंका अधिक होती है। इसके अलावा अस्पताल और घर की दीवारों पर फफूंदी लगने या वेंटिलेशन सिस्टम के नहीं होने और मेडिकल उपकरणों के ठीक तरीके से स्टरलाइज्ड नहीं होने की वजह से भी ब्लैक फंगस हो सकता है। बासी ब्रेड, सब्जी या फलों पर भी फफूंद लग सकती है।


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