
तब से वस्तुतः कक्षाएं ऑनलाइन संचालित की जा रही हैं। जबकि केंद्र सरकार ने पिछले अक्टूबर में स्कूलों को चरणबद्ध रूप से फिर से खोलने की अनुमति दी थी, इसके तुरंत बाद निर्णय वापस ले लिया गया था।
एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कहा, "मैं उन जिलों के लिए स्कूलों को धीमे तरीके से खोलने का प्रस्तावक हूं, जहां पर वायरस का संक्रमण दर कम हैं।"
सही योजना और निगरानी इसकी कुंजी
गुलेरिया ने कहा, "यह [स्कूलों को फिर से खोलने] 5 प्रतिशत से कम सकारात्मकता दर वाले स्थानों के लिए योजना बनाई जा सकती है।"
प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट और कोविड -19 पर भारत के टास्क फोर्स के सदस्य ने भी कहा कि अगर संक्रमण फैलने का संकेत मिलता है तो स्कूलों को तुरंत बंद किया जा सकता है। लेकिन जिलों को वैकल्पिक दिनों में बच्चों को स्कूलों में लाने का विकल्प तलाशना चाहिए और फिर से खोलने के अन्य तरीकों की योजना बनानी चाहिए, उन्होंने कहा।
डॉ गुलेरिया ने आगे कहा, "इसका कारण हमारे बच्चों के लिए सिर्फ एक सामान्य जीवन नहीं है, बल्कि एक बच्चे के समग्र विकास में स्कूली शिक्षा के महत्व को भी देखा जाना चाहिए।"
स्वस्थ विकास के लिए स्कूलों की जरूरत
एम्स (नई दिल्ली) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ऑनलाइन शिक्षा से वंचित बच्चों को अब स्कूल क्यों भेजा जाना चाहिए।
उन्होंने यूनिसेफ के हवाले से कहा, "कोविड -19 ने इंटरनेट एक्सेस में अंतराल को पाटने की आवश्यकता की पुष्टि की है। डिजिटल डिवाइड सीमाओं, क्षेत्रों और पीढ़ियों में मौजूद है, जो जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है।"