सोनाक्षी सिन्हा की अपकमिंग फिल्म खानदानी शफाखाना है। टैबू टॉपिक पर बेस्ड इस फिल्म को सेंसर बोर्ड की तरफ से कोई परेशानी नहीं हुई। इस फिल्म को बिना कट लगे यूए सर्टिफिकेट मिला है। डायरेक्टर शिल्पी दासगुप्ता ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया, न्यू इंडिया चेंज हो रहा है। आज होमोसेक्सुअलिटी भी यहां अपनी जगह हासिल कर चुका है। जाहिर तौर पर हमारी फिल्म को सेक्स एजुकेशन से जुड़े अध्यायों को एड्रेस करने में परेशानी नहीं हुई। सेक्स क्लिनिक और वहां आनेवाले मर्जों का जिक्र होने के बाद भी सेंसर बोर्ड ने इसे यूए सर्टिफिकेट दिया। कोई कट्स नहीं लगाए। इस फिल्म का टाइटल इरादतन खानदानी शफ़ाखाना रखा गया है क्योंकि इसकी जानकारी कम लोगों को ही होती है।


मुझे नहीं लगता कि सोनाक्षी की कलंक, वेलकम टू न्यूयॉर्क, नूर या अकीरा के फ्लॉप होने का असर मेरी इस फिल्म पर पड़ेगा। कलंक उनकी सोलो फिल्म नहीं थी। वह मल्टीस्टारर फिल्म थी जिसमें सबकी एक्टिंग को सराहा गया। लिहाजा मेरी फिल्म पर उसका असर नहीं पड़ेगा। रही बात उनकी पिछली फ्लॉप फिल्मों की तो उनका जिक्र मेकर्स ने अबतक नहीं किया है। किया होता तो शायद मेरी इस फिल्म में उनकी बजाय कोई और एक्ट्रेस होती। सोनाक्षी की अच्छी फैन फॉलोइंग है। वो और कंटेंट सेंट्रिक फिल्में देखने वाले लोग इस फिल्म को देखने जरूर आएंगे।



स्टार्स और मेकर्स दोनों ही अब एब्रॉड के बजाय हार्टलैंड और छोटे शहरों की कहानियों की डिमांड करने लगे हैं। सबको अब फिल्मों में रियलिस्टिक कहानियां ही देखना पसंद है। मैं खुद भोपाल से हूं। 12वीं तक मैं वहीं थी। मेरी मां एक्टिव थिएटर पर्सनालिटी रही हैं। पुणे में ग्रेजुएशन करने के बाद मैं तीन साल एफटीआईआई से डायरेक्शन कोर्स किया। वहां मेरी एक फिल्म को नेशनल अवॉर्ड भी मिला था। करीब साढ़े तीन साल पहले मेरे पास खानदानी शफाखाना की कहानी आई और फिर प्रोड्यूसर महावीर जैन के साथ टी सीरीज भी बोर्ड पर आया।




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