शक्ति कपूर चाहे 'अंदाज अपना-अपना' फिल्म में क्राइम मास्टर गोगो के किरदार में 'आंखें निकाल कर गोटियां खेलने' की बात कहें या चालबाज फिल्म में 'मैं एक नन्हा सा, प्यारा सा छोटा सा बच्चा हूं', या ''राजा बाबू'' में 'नंदू सबका बंधू', वह पर्दे पर जिस भी किरदार में आए उन्होंने अपनी बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी और शानदार अभिनय के दम पर लोगों के दिल में जगह बनाई।


आज ही के दिन दिल्ली के करोल बाग में 1958 उनका जन्म हुआ था। उनका असली नाम सुनील सिकन्दरलाल कपूर है। शक्ति के पिता टेलर थे। वैसे तो शक्ति कपूर के पिता चाहते थे कि शक्ति उनके फैमिली बिजनेस में उनका हाथ बटाएं लेकिन शक्ति को ये काम पसंद नहीं था। वो एक ट्रेवल एजेंट बनना चाहते थे। शक्ति के कुछ दोस्तों का मानना था कि वो एक्टिंग अच्छी कर लेते हैं इसलिए उन्हें फिल्मों में ट्राई करना चाहिए। दोस्तों के कहने के बाद ही शक्ति ने मॉडलिंग शुरू की थी.


उनके एक दोस्त ने उनके एक्टर बनने से पहले ही उनका पोस्टर अपनी दुकान में लगा लिया था। अभी शक्ति मॉडलिंग कर ही रहे थे कि उनके कुछ दोस्तों ने बताया कि वो पुणे के 'फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया' (FTII) का फॉर्म भर दिया। शक्ति कपूर को इसमें एडमिशन मिल गया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।


शक्ति कपूर पर्दे पर जितनी अच्छी एक्टिंग करते हैं उतनी ही दिलचस्प उनके एक्टर बनने की कहानी भी है। आज उनके जन्मदिन के दिन आईए जानते हैं शक्ति कपूर को उनकी पहली फिल्म कैसे मिली थी।


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