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हम में से काफी सारे लोगो ने सरोगेसी शब्द को सुना होगा और बहुत सी जगह लिखा हुआ पढ़ा भी होगा पर हम में से काफी लोगों को इसके बारे में नही पता होगा। अगर किसी कारणवश आपकी संतान नही हो पा रही है तो सरोगेसी के द्वारा आप माता-पिता बन सकते है। अभी हाल में ही बॉलीवुड अभिनेत्री और आईपीएल टीम राजस्थान रॉयल्स की मालकिन शिल्पा शेट्टी कुंद्रा सरोगेसी के माध्यम से माँ बनी है और खूबसूरत बेटी को जन्म दिया है।
आज के इस युग मे ऐसे काफी सारे विवाहित जोड़े है जो किसी भी परेशानी के चलते माता-पिता नही बन पा रहे थे वो अब सरोगेसी के जरिये संतान सुख ले पा रहे है। और सरोगेसी ऐसे लोगों के लिए एक वरदान ही है। सरोगेसी क्या होती है, इसकी प्रक्रिया क्या होती है, कौन इस तकनीक से संतान सुख ले सकता है, इसके बारे में आइये आपको हम विस्तार से बताते है।
सरोगेसी क्या होती है?
सरोगेसी की प्रक्रिया को जानने से पहले हमें सरोगेसी शब्द का मतलब समझना होगा। सरोगेसी शब्द का मतलब होता है “किराये की कोख”. आपको सरल भाषा मे समझाते है कि सरोगेसी में एक महिला, किसी अन्य विवाहित जोड़े को जिन्हें बच्चे के जन्म लेने में समस्या आ रही हो, तो वो महिला उनके बच्चे को अपनी कोख से जन्म दे देती है। बच्चे के जन्म लेने के बाद उस महिला का उस बच्चे पर कोई भी अधिकार नही रह जाता।
अब आपको यह तो समझ आ गया होगा कि सरोगेसी क्या होती है। एकबार आपको फिर बताना चाहेंगे कि अगर किसी दंपत्ति को बच्चे के जन्म में समस्या आ रही है तो ऐसे में किसी और महिला की कोख को किराए पर लिया जाता है और उसमें बच्चे को जन्म दिया जाता है ऐसी महिलाओं को सरोगेट मदर भी कहते है।
सरोगेसी के लिए नियम एवं शर्ते
जैसा कि हमने पहले ही यह बताया है कि इस माध्यम का उपयोग केवल विवाहित दंपत्ति ही कर सकते है। इसके अलावा सरोगेसी करवाने के लिए उनके विवाह को कम से कम 5 वर्ष हो चुके हो। इसके साथ-साथ बच्चे को जन्म देने में क्या दिक्कत आ रही है उससे जुड़े सभी मेडिकल दस्तावेज भी देने होंगे।
सरोगेट मदर
कोई विवाहित जोड़ा अगर सरोगसी के लिए महिला की तलाश कर रहा हो तो ऐसे में उसके अपने परिवार की या किसी जान-पहचान की नजदीकी रिश्तेदार ही सरोगेट मदर बन सकती है। जो महिला सरोगसी के द्वारा एक बार बच्चे को जन्म दे देती है वो अपनी पूरी जिंदगी में दुबारा सरोगेट मदर नही बन सकती।
एक बात और जो ध्यान रखने योग्य है कि सरोगसी के द्वारा हुआ बच्चा भले ही विकलांग हो, मंदबुद्धि हो या फिर अन्य कोई भी शारीरिक या मानसिक परेशानी के साथ जन्मा हो तो उसे स्वीकार करना ही होगा।