रिया चक्रवर्ती वह व्यक्ति है जिसके बारे में सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से हर कोई बात कर रहा है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और अब नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) सभी उसकी जांच कर रहे हैं। इस तरह के समय में, इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई ने एक मेगा एक्सक्लूसिव में, रिया चक्रवर्ती से उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों पर बात की। रिया ने स्पष्ट रूप से सभी आरोपों का खंडन किया, जिसमें ड्रग साजिश और 15 करोड़ रुपये से अधिक की छूट शामिल है, और अधिक।


राजदीप: आज आप चुप्पी तोड़ रही हैं. क्यों? आज का दिन आपने क्यों चुना?
रिया: (गला साफ करके खुद को संभालते हुए) सुशांत ने बताया मुझे. सुशांत मेरे सपने में आया था.... वो काफी लोगों के सपने में आ रहा है आजकल जो उसे कभी जानते भी नहीं थे. उसने बोला कि सच बोलो. जाकर सबको बोलो कि तुम क्या हो. हमारा रिश्ता क्या था. और क्या है.


राजदीप: आप अपने और सुशांत के रिश्ते के बारे में हमें बताइए? कब मिले? कैसे मिले? ये रिलेशनशिप शुरू कैसे हुआ?
रिया: तो सुशांत और मैं... काफी साल से दोस्त हैं. हम लोग दो हजार...... तेहर में यश राज स्टूडियो में मिले थे. मेरी पहली फिल्म रिलीज हो चुकी थी और उनकी फिल्म काय पो चे रिलीज होने को थी. या बस हुई थी और वो वायआरएफ आ रहे थे. न्यू टैलेंट बने थे. हमारे मैनेजर्स सेम थे उस वक्त भी. हम लोग.... YRF के जिम में इंट्रड्यूज हुए. और फिर कभी-कभी यहां वहां अवॉर्ड शोज पर मिलना जुलना होता था. हम लोग काफी अच्छे दोस्त थे. शायद साल में एक बार भी मिलते हों, पर पूरी बात करते थे. कि कैसा है सब कुछ? मतलब, पूरी. सारी अपनी दिक्कतें भी शेयर कर लेते थे उसी दौरान.


(चेहरे पर मुस्कान और भावुकता लाते हुए) मुझे अच्छा लगता था तभी भी... लेकिन लगता था कि यार कुछ अलग है ये. कुछ अलग किस्म का लड़का है ये. इसके साथ ना.. बैठ कर बात करनी पड़ेगी. पूरी बात करनी पड़ेगी.... और फिर, अप्रैल 2019... 13 अप्रैल. सुशांत और मैं... रोहिणी अय्यर जी... की पार्टी पर मिले. वहां से हमारा रिश्ता फिर... असल में शुरू हुआ. और प्यार तो सुशांत ने बोला कि उसको एक ही दिन में हो गया. पर मैंने बोला.... (हंसते हुए) कि दो तीन महीने.... दो मुझे. मैं बताती हूं... ये आई लव यू जो वर्ड है, बहुत बड़ा है. मुझे क्या पता था कि इस आई लव यू वर्ड की सजा. मुझे अब तक इस तरह काटनी पड़ेगी.



राजदीप: आप और सुशांत एक दूसरे से मिलने लगे. आप कुछ महीनों बाद उनके साथ रहने भी लगीं. आप उनकी पार्टनर बन गईं. ये बताइए. इस दौरान अप्रैल 2019 के बाद रोमांस धीरे-धीरे बढ़ता गया. और नतीजतन आप उनके साथ रहने लगीं? आपने इसे एक लंबी रिलेशनशिप के तौर पर देखा था? एक दिन मैं शादी करूंगी? किस तरह से आप देख रही थीं इस रिलेशनशिप को?

रिया: (मुस्कान) तो सुशांत और मेरा एक रनिंग, पर्सनल, एनिकडोट, मैं आपके साथ शेयर करती हूं कि, हमने कभी ऐसे फॉर्मली शादी की बात नहीं की. जाहिर है कि... लॉन्ग टर्म... अब तो लग रहा है कि दूसरे जन्म तक भी चलेगा. (हंसती हैं) एक बात मैं जरूर कहती थी कि मुझे एक छोटा सुशांत चाहिए. उसी की तरह... उसी के फेस का... एक छोटा... सुशी. तो ये हमारा एक रनिंग.. जोक था.... ऑबवियसली.. जोक भी नहीं पर. एक कपल के तौर पर हम डिसकस किया करते थे. इससे आपको पता चलेगा कि हमारा किस तरह का रिलेशनशिप था.




राजदीप: किस चीज ने आपको सुशांत की तरफ आकर्षिक किया?
रिया: किस चीज ने नहीं किया? (हंसती हैं) वो सबसे ईमानदार इंसान था जिससे मैं मिली थी. उसके सामने आप.... मतलब आप और ज्यादा आप बन जाते थे. उनसे मिलकर मैं अपने आप से मिली... और उन्होंने मुझे जिस... जिस अंदाज में... जिस नजर से देखा... जिस प्यार से देखा... उस नजर से मैं अपनी नजरों में.... ऊपर हो गई. और.... हमारा रिलेशनशिप असल में... हमारी जो... दोस्ती थी... वो हमारे रिश्ते की बुनियाद थी. वो भरोसा, और... (भावुक औकर खुद को संभालने की कोशिश करती हैं.) वो ईमानदारी. वो समझ कि दूसरा बंदा आपको पूरी तरह समझता है. चाहे आप लो हो, हाई हो. ये हो, वो हो. कोई फर्क नहीं पड़ता.



राजदीप: क्या हुआ जो चीजें इतनी ज्यादा बिगड़ गईं? क्या हुआ कि रिलेशनशिप जिसे आप कहती हैं, लव जिसे आप कहती हैं. क्या हुआ कि... धीरे-धीरे. या जून 2020 तक... जून 8 की मैं आपको खासतौर पर बात करता हूं. क्या हुआ था? आपको घर क्यों छोड़ना पड़ा. आप दिसंबर से उनके साथ रह रही थीं... लेकिन जून 8, 2020 को आप सुशांत का घर छोड़ती हैं. क्यों?

रिया: (गहरी सांस लेने के बाद) तो मई के मध्य के बाद से सुशांत कूर्ग, जो कि दक्षिण भारत में एक कस्बा है वहां, शिफ्ट होने की प्लानिंग और तैयारी कर रहे थे. उन्होंने अपने लॉयर... और अपने... घर में जो फ्लैटमेट्स हैं उन्हें, और अपने एक दूसरे दोस्त आयुष शर्मा को भी फोन करके पहले बीर शिफ्ट होने का उनका प्लान था. वो काफी कंसिस्टेंटली एक घर ढूंढ रहे थे. शिफ्ट होने के लिए.


राजदीप: वो कूर्ग के लिए रवाना होना चाहते थे?
रिया: वो कूर्ग में शिफ्ट होना चाहते थे.

राजदीप: वो कूर्ग जाना चाहते थे मई 2020 में?
रिया: (हां में सिर हिलाते हुए) मई 2020 में. और मेरे पास बल्कि मैसेज हैं उनके लॉयर के साथ कि, आप प्लीज घर आइए और उनको हेल्प कीजिए. वो वहां शिफ्ट होना चाहते हैं. वो वहां पर कुछ सेटअप करना चाहते हैं.

राजदीप: उसने स्टारडम पूरी तरह से छोड़ दिया था?
रिया: (मुस्कुराते हुए) बोल तो रहा था. पर मुझे लगा शायद... उसे लगा शायद कि वो 6 महीने वहां रुकेगा, फिर एक फिल्म करेगा और उसे एक बेस की तरह बना लूंगा. वो बहुत अलग था. वो बहुत ज्यादा इसमें... ये मुंबई लाइफ और सिटी लाइफ जैसे. वो इन सब चीजों का कोई बहुत बड़ा फैन नहीं था. उसे पहाड़, सुकून, खेती, ये उनके सपने थे. बल्कि ये हमारे सपने थे. कि हम कहीं और रहकर साल में एक फिल्म कर ही सकते हैं. मुंबई में... और क्या पता साथ ही कर लें तो... क्या ही बात हो.

राजदीप: जून 8 को क्या हुआ? वो पूरा दिन हमें बताइए?
रिया: (गला साफ करते हुए) तो सुशांत शिफ्ट होने की तैयारी कर रहे थे और आरोपों के विपरीत कि मैं नहीं उनको जाने दे रही थी. मैं... काफी अंडरस्टैंडिंग थी उस बात को लेकर और मुझे लगा कि अगर ये उसके लिए ठीक है तो.. जो मुझे अभी भी लगता है कि ये उसके लिए बेहतर होता. तो फिर ये ठीक है. लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप भी होता है. मैं कुछ महीने वहां बिता सकती हूं. कुछ महीने अपने घर पर बिता सकती हूं. और... चलता रहा पूरे लॉकडाउन के दौरान... जब तक सुशांत का डिप्रेशन फिर से उस पर हावी नहीं हो गया. इसमें अलग-अलग फेज थे... कभी वो ठीक होते थे. कभी वो ज्यादा डिप्रेस्ड होते थे. ये बायपोलर डिसऑर्डर था.

तो इस फेज में... वो बहुत जल्दी-जल्दी अप और डाउन होता था. मतलब तकरीबन रोज ही. ऐसे जैसे... मंडे अप, ट्यूजडे डाउन. कई बार उसी दिन पर भी. और मुझे बल्कि इस बात से बहुत घबराहट हो रही थी और इसी वजह से 3 जून को मैंने डॉक्टर कृसि छाबड़ा को संपर्क किया. उनके जो मनोचिकित्सक थे, कि आप प्लीज एक बार उनसे बात कीजिए. मुझे लग रहा है कि वो पिर से डिप्रेशन में जा रहा है. और पैरानोया भी हुआ है उसको. और मेरे पास वो चैट भी हैं.

तो आप उनसे बात कीजिए और देखिए कि उन्हें किस तरह की दवाइओं की जरूरत है. 3 जून को सुशांत की डॉक्टर से बातचीत भी हुई. डॉक्टर को लगा कि हां उन्हें मेडिकेशन की जरूरत है. हां वो डिप्रेशन से जूझ रहा है. लेकिन सुशांत मेरे साथ बहुत अजीब बर्ताव कर रहा था. और बार बार मुझे कह रहे थे कि तुम.... घर जाओ. और ये घर जाओ, घर जाओ कहीं.... दूसरी जून.... बल्कि पहली जून से ही शुरू हो गया था. कि मुझे तो कूर्ग शिफ्ट करना ही है. तुम घऱ जाओ.

क्योंकि मुझे भी एंग्जायटी अटैक हो रहे थे. मई और जून के महीने में. और मेरी हालत भी देखकर सुशांत को अच्छा नहीं लग रहा था. वो कह रहा था कि जाओ, घर जाओ. ठीक और फिर मेरी मदद करो वापस आकर. तुम ही ठीक नहीं रहोगी तो मेरी हेल्प कैसे करोगी? तो 8 जून को मेरी एक थैरिपी सेशन बुक थी डॉक्टर सुजेन वॉकर के साथ. सुबह 11.30 बजे की. तो इससे ये साबित होता है कि मेरा कोई इरादा नहीं था 8 जून को जाने का.

मैं अपने घर पर थैरिपी सेशन नहीं कर सकती थी. मैं नहीं चाहती कि मेरे माता-पिता मुझे उस हालत में देखें. मुझे एक बहादुर चेहरा उनके लिए रखना पड़ता है. क्योंकि कोई भी माता-पिता अपने बच्चे को ऐसा नहीं देखना चाहेंगे. तो इसलिए, 8 जून को जब मेरी थैरिपी सेशन थी तो मैंने सुशांत को बोला कि मेरा थैरिपी सेशान है. तो उन्होंने मुझे कहा कि नहीं. आप थैरिपी सेशन यहां मत करो. आप घर जाओ. तो मैंने कहा कि मुझे थैरिपी सेशन करके जाने दो. उन्होंने बोला कि नहीं. आप थैरिपी सेशन के पहले जाओगे. क्योंकि मेरी बहन आ रही है. मैंने उनको फोन किया है.

पिछले पूरे जून के महीने में वो अपनी बहनों से, अपने पिताजी से, लगातार फोन पर बात करते रहे कि, हां मैं कूर्ग शिफ्ट होने का प्लान कर रहा हूं. तो क्या आपमें से कोई मेरे साथ आएंगे? मुझे हेल्प करेंगे? और कोई जवाब नहीं आ रहा था कि वो आएंगे या नहीं आएंगे. फाइनली 8 तारीख को जब उन्होंने मुझे बोला कि तुम घर जाओ ही जाओ. तो मैंने बोला कि मैं जाती हूं पर एक ही कंडीशन है मेरी. कि आपकी बहन जो बॉम्बे में रहती हैं, गोरेगांव में रहती हैं, मीतू जी, वो आएं. वो यहां होंगी तो मैं जाऊंगी.

बल्कि मैंने उन्हें बोला था कि अभी 12 बजे हैं, कितने बजे आएंगी मीतू जी? तभी मैं जाऊंगी. जब वो बिल्डिंग के नीचे होंगी. उन्होंने कहा कि नहीं. वो एक दो घंटे में आने वाली हैं. आपको उनके आने से पहले जाना होगा. और हां, मेरे और उनके परिवार के रिश्ते कुछ खास नहीं थे. शुरुआत से ही काफी तकलीफें थीं. उनके परिवार को अब तो जायज ही है, बिलकुल ही साफ हो गया है कि बिलकुल भी पसंद नहीं हूं. मेरे ऐसे स्ट्रॉन्ग इमोशन्स ना हैं, ना थे उनके लिए. और जब कोई इंसान, मेंटल हेल्थ, डिप्रेशन, या किसी भी हेल्थ प्रॉब्लम से गुजर रहा होता है. तो फैमिली का वहां होना बहुत जरूरी होता है. इस बात को मैं समझती हूं, जानती हूं, मानती हूं. इसीलिए मैं चाहती थीं कि उनकी बहन आएं, और तो ही मैं जाऊं. तो जिस दिन मैं निकली, मैं चाहती थी कि मीतू, सुशांत की बहन वहां पर हों. और वो थीं.

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