अमेरिका में रहने वाले हजारों भारतीयों को बड़ी राहत मिली है। दरअसल अमेरिका की एक अदालत ने एच-1बी वीजा धारक की पार्टनर के काम करने पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। एच-1बी वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है, जो कि अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को काम पर रखने की सुविधा देता है। साल 2015 में अमेरिका की तत्कालीन बराक ओबामा सरकार ने इस वीजा की शुरुआत की थी। इसके साथ ही अमेरिकी सरकार एच-1 बी वीजा होल्डर्स की पार्टनर को देश में काम करने के लिए एच-4 वीजा की भी सुविधा देती है। अमेरिका के इस वीजा का सबसे ज्यादा लाभ भारतीयों को मिल रहा है। लेकिन बीते दिनों अमेरिका के कामगारों ने एच-4 वीजा का विरोध करना शुरु कर दिया। उनका कहना था कि इससे उनके लिए रोजगार के मौके कम हो रहे हैं। अमेरिका की मौजूदा ट्रंप सरकार ने भी इस वीजा का विरोध किया और कहा कि वह इसे हटाना चाहती है।
हालांकि अब अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने इस मामले में एच-1बी वीजा धारकों और एच-4 वीजा धारक उनकी पार्टनर्स को बड़ी राहत देते हुए इस मामले में कोलंबिया डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। इसके बाद अमेरिकी सरकार अभी एच-4 वीजा को बंद नहीं कर सकेगी। बता दें कि सेव जॉब्स यूएसए ने इस मामले में कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।


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उल्लेखनीय है कि अमेरिका ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क भी बढ़ा दिया है। बढ़े हुए आवेदन शुल्क के तौर पर अब आवेदनकर्ताओं को 10 डॉलर चुकाने होंगे। अमेरिकी नागरिकता एवं आव्रजन सेवाओं ने कहा है कि नॉन रिफंडेबल यह शुल्क एच-1बी वीजा की चयन प्रक्रिया के लिए है। आवेदन करने वालों और संघीय एजेंसी दोनों के लिए प्रभावी बनाने की खातिर और नई इलेक्ट्रॉनिक पंजीकरण प्रणाली में उपयोगी साबित होगी।

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