गोवा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अंदर जो कठिनाई आई, वह असामान्य है| ऐसा पहले संघ के 90 साल के हिस्ट्री में कभी नहीं हुआ कि विभाग संघ चालक को दायित्वमुक्त करने के बाद सारे यूनिट ने स्वतंत्र होने की घोषणा कर दी हो और एक दूसरे आनुषंगिक संगठन (बीजेपी) के खिलाफ काम कर उसे चुनाव में हराने की पब्लिकली चलैंजे दे डाला हो| कुछ ऐसा ही गोवा में हुआ है| सुभाष वेलिंगकर विभाग संघ चालक को मंगलवार को दायित्वमुक्त किया गया और उसके दूसरे ही दिन संघ के असंख्य कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों ने अपने आप को अलग कर लिया|
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स्तिथि यहां तक पहुँच गई कि आरएसएस को चौबीस घंटे के अंदर दूसरी बार गोवा के परिस्थितियों पर बयान जारी करना पड़ा| सूत्रों के मुताबिक वेलिंगकर राज्य की बीजेपी सरकार के विरुद्ध कार्य कर रहे थे| वह भारतीय भाषा सुरक्षा मंच बनाकर अलग से चुनाव लड़ने की फिराक में हैं| उनके भारतीय भाषा सुरक्षा मंच ने अक्टूबर में अलग राजनैतिक दल बनाने की घोषणा की है| वेलिंगकर ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में बीजेपी के पराजित होने की भविष्यवाणी भी की थी| 
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उनकी डिमांड है कि प्राथमिक शिक्षा में मराठी और कोंकणी भाषाओं को ज़रूरी किया जाए और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को सरकारी सहायता बंद करा दी जाय| उनके मंच के वर्कर्स ने अगस्त के तीसरे हफ़्ते में तिरंगा यात्रा के मामले में राज्य में आये बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के क़ाफ़िले को काले झंडे भी दिखाए थे| एक इंटरव्यू में बातचीत में वेलिंगकर के तीखे मिजाज वैसे के वैसे ही है| उन्होंने हालिया मुसीबत के लिए राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और हालिया केंद्रीय रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर को कसूरवार ठहराया है|
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उन्होंने घोषणा की है कि अब उनका सिर्फ लक्ष्य राज्य की बीजेपी सरकार को हराना है| वेलिंगकर का प्रयास राज्य सरकार में बीजेपी की सहयोगी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी यानी एमजीपी से समन्वय की है|


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