उत्तर प्रदेश के अखिलेश कैबिनेट से कुछ ही दिन पहले हटाए गए गायत्री प्रजापति सोमवार को दोबारा मंत्रिमंडल में सम्मलित किए गए हैं| उन पर भ्रष्टाचार का इलजाम लग चुका हैं और 12 सितंबर को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उन्हें मंत्रिमंडल से निष्कासित कर दिया था| परंतु पिता मुलायम सिंह के समझाने के बाद प्रजापति की वापसी हुई है| आखिर कौन हैं गायत्री प्रजापति जिन्हें मुलायम सिंह और शिवपाल यादव का करीबी माना जाता है और जिन्हें लेकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अपना निर्णय दोबारा लेना पड़ा? 
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खनन में भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच की बात कही थी| लेकिन इन इल्जामो के बावजूद गायत्री में मुलायम सिंह का विश्वास बरकरार है| गायत्री पहली बार 2012 में विधायक बने और फिर ऊंचाइयां छूते चले गए| गायत्री प्रजापति को जानने वाले बताते हैं कि वो शुरुआत से ही बहुत महत्वाकांक्षी थे और राजनीति में आगे बढ़ना चाहते थे| उनसे पूछने पर, "आखिर गायत्री मुलायम सिंह के नज़दीक कैसे पहुंचे|" दयाराम प्रजापति कहते हैं, "इससे पहले समाजवादी पार्टी अमेठी से नहीं जीती थी|
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पहली बार गायत्री जी जीते थे| उन्होंने कांग्रेस का गढ़ तोड़ा था तो उन्हें तवज्जो तो मिलनी चाहिए थी| वही नेताजी ने किया| नेताजी की नज़र में जो चढ़ जाए....मैं चढ़ गया तो मुझे बना दिया, गायत्री चढ़ गए तो उन्हें बना दिया|" मीडिया की कुछ अपुष्ट ख़बरों में इस नज़दीकी को गायत्री प्रजापति के मुलायम सिंह के छोटे बेटे प्रतीक यादव से अच्छे संबंधों से जो़ड़कर देखा गया है| दयाराम प्रजापति खनन मंत्रालय में किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से साफ़ इनकार करते हैं और गायत्री की आर्थिक तरक्की का कारण उनके ज़मीन व्यापार को मानते हैं| 
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वो कहते हैं, "जो आगे बढ़ता है, लोग उसका विरोध तो करते ही हैं| कहां है खनन मंत्रालय में भ्रष्टाचार? खनन विभाग की आमदनी बढ़ी है| विरोधी मात्र आरोप लगा रहे हैं|"


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