सेंसर, हारपून ब्लॉक—2 मिसाइल, एमके-54 लाइट टॉरपीड और रॉकेट से लैस पी-8आई विमान अपने दुश्मन की सबमरीन को डिटेक्ट करके खत्म कर सकता है। भारत ने इस विमानों के लिए साल 2009 में सौदा किया था। नौसेना के पास इस समय आठ ऐसे विमान हैं। बाकी के चार विमान जुलाई 2021-22 तक नौसेना को मिल जाएंगे।
नौसेना एक दर्जन से ज्यादा पी—8आई विमान का खरीदना चाहती थी लेकिन अमेरिका से 2.5 अरब डॉलर के 30 सशस्त्र सी गार्जियन (प्रीडेटर-बी) ड्रोन की खरीद के बाद 10 विमानों के लिए वह सहमत हुई। इसमें से नौसेना, वायुसेना और भारतीय सेना को 10-10 विमान मिलेंगे। इन हंटर-किलर ड्रोन्स का मामला डीएसी के पास भेजा जा चुका है।
इसके अलावा 24 नेवल मल्टी-रोल एमएच60 रोमियो हेलिकॉप्टर (2.6 बिलियन डॉलर), दिल्ली के ऊपर शील्ड के लिए नेशनल एडवांस सर्वेस टू एयर मिसाइल सिस्टम-2 (लगभग एक बिलियन डॉलर) और छह अपाचे हेलिकॉप्टर (930 मिलियन डॉलर) के सौदे अमेरिका के साथ किए जाएंगे। साल 2007 से अब तक भारत अमेरिका के साथ 17 बिलियन डॉलर के सौदे कर चुका है। दोनों देश कई मोर्चों पर अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार कर रहे हैं। इसके बावजूद भारत काट्सा के तहत वित्तिय खतरों का सामना कर रहा है।
ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूस के साथ अक्तूबर 2018 में किए एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम का विरोध किया था। यह रक्षा सौदा 5.43 बिलियन डॉलर का है। इसके बाद भारत ने मार्च 2019 में भारत ने परमाणु क्षमता वाली हमलावर पनडुब्बी अकुला-1 को 10 साल के लिए पट्टे पर लेने के लिए रूस के साथ तीन अरब डॉलर का समझौता किया था। काट्सा के तहत भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों से छूट मिलती है या नहीं इसका पता मंगलवार को चल जाएगा जब अमेरिका के विदेश सचिव माइक पॉम्पियो भारत आएंगे।