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अमेरिकी विदेश मंत्री ने भारत आने से पहले कहा कि इस दौरे में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक वैश्विक गठजोड़ बने, जो सामरिक रूप से एकजुट हो। ना सिर्फ संपूर्ण खाड़ी क्षेत्र के देश, बल्कि एशिया और यूरोप तक एक बड़ा गठजोड़ बने, जो कि मौजूदा समय की चुनौती को समझे और आतंक के दुनिया के सबसे बड़े प्रायोजक के खिलाफ कदम उठाने के लिए तैयार हो।
हाल में जारी ग्लोबल ट्रेड वॉर के बीच भारत और अमेरिका दोनों ने अपनी चालें चलीं। अमेरिका ने भारत से तरजीह देने वाला दर्जा छीना, तो भारत ने भी अमेरिकी प्रॉडक्ट पर टैक्स बढ़ा दिए। ट्रंप प्रशासन चाहता है कि भारत उसके हिसाब से न सिर्फ व्यापार करे बल्कि दूसरे देशों के साथ रिश्ते भी उनके मुताबिक ही आगे बढ़ाए। खासकर ईरान को लेकर ट्रंप सरकार ने बेहद सख्त रवैया अपना रखा है। लेकिन भारत ने अपरोक्ष रूप से संदेश दे दिया कि अपने हितों के हिसाब से ही वह संतुलन बनाने की रणनीति के तहत आगे बढ़ेगा। साथ ही अमेरिकी प्रशासन को भी यह भी संदेश दे दिया गया कि भारत के बाजार की उपेक्षा करने से भारत से अधिक अमेरिका का अधिक नुकसान होगा। जाहिर है, इन हालात में अमेरिकी विदेश मंत्री के भारत दौरे और ट्रंप—मोदी की मुलाकात पर सबकी नजर रहेगी।
क्या चाहता है अमेरिका
- ईरान से कच्चा तेल न खरीदे भारत
- रूस से एस 400 का करार रद्द कर अमेरिकी विमान खरीदे
- भारत में हुवेई पर प्रतिबंध लगे
- सोशल मीडिया और इंटरनेट मुहैया कराने वाली कंपनियों पर भारत में लाइसेंस लेने का दबाव न हो
- अमेरिकी प्रॉडक्ट पर टैक्स की दरों में भारी रियायत मिले
- एच-1 बी वीजा मामले में भारत की जरूरतों को पूरा किया जाए
- ट्रेड वॉर के बीच भारत को मिलने वाली तमाम रियायतों को वापस न लिया जाए
- पाकिस्तान पर अमेरिका और सख्ती बरते
- धार्मिक स्वतंत्रता पर जिस तरह की एकतरफा रिपोर्ट पेश हुई, उससे बचा जाए
- मेक इन इंडिया के तहत भारत में अमेरिका अपना निवेश बढ़ाए