
नयी दिल्ली। दिग्गज कांग्रेस नेता और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का यहां एक निजी अस्पताल में हृदयरोग के कारण निधन हो गया. वह लगातार तीन बार (1998-2013) दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के अनुसार, उन्हें कार्डियक अरेस्ट का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी सासें थम गईं। शनिवार की सुबह उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया था।
दिल्ली कांग्रेस प्रमुख के तौर पर शीला दीक्षित का पार्टी कार्यकर्ताओं को आखिरी निर्देश था कि अगर पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच गतिरोध शनिवार को भी खत्म नहीं हो तो वो बीजेपी मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करें। कैबिनेट के एक पूर्व सहयोगी ने यह जानकारी दी।
बता दें कि यूपी के सोनभद्र में जमीन विवाद में मारे गए 9 लोगों के पीड़ितों से मिलने के लिए प्रियंका गांधी पहुंची थीं। यूपी प्रशासन ने प्रियंका को पीड़ित परिवारों से मिलने से रोकते हुए हिरासत में ले लिया था और इसके विरोध में वह धरने पर बैठ गई थी।
शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में उनके कैबिनेट सहयोगी रहीं किरण वालिया ने कहा कि उन्होंने अपने आखिरी संदेश में कार्यकर्ताओं से बीजेपी मुख्यालय के बाहर आंदोलन करने को कहा था। वह आंदोलन के लिए मौजूद नहीं थीं, इसलिए उनकी जगह पर प्रदेश के कार्यकारी अध्यक्ष हारुन युसूफ को नेतृत्व करना था।