भारत से बंटवारे के 72 साल बाद आखिरकार पाकिस्तान ने शुक्रवार (2 अगस्त) को पंजाब प्रांत के ऐतिहासिक गुरुद्वारा चोवा साहिब के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए। पाक द्वारा यह फैसला नवंबर में गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के मद्देनजर लिया गया है। बता दें कि, पंजाब प्रांत के झेलम जिले में स्थित ऐतिहासिक गुरुद्वारा का निर्माण 1834 में महाराजा रणजीत सिंह ने कराया था। 1947 में भारत-पाक के विभाजन के दौरान यहां रहने वाले सिख समुदाय के लोग पलायन कर गए। इसके बाद सरकार की अनदेखी के चलते गुरुद्वारा पूरी तरह से बंद था।
पकिस्तान द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद अब भारत समेत दुनिया भर के सिख श्रद्धालु इस गुरुद्वारा में जा सकेंगे। गुरुद्वारा खुलने के बाद सिख समुदाय ने यहां अरदास (प्रार्थना) और कीर्तन (भक्ति गीत) की प्रस्तुति दी। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के चेयरमैन डॉ. आमीर अहमद इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। डॉ. अहमद पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के पवित्र स्थलों की देखरेख का जिम्मा संभालते हैं। इस कार्यक्रम में पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार सतवंत सिंह भी मौजूद थे।
फिलहाल, गुरुद्वारे का जीर्णोद्धार का कार्य चल रहा है। माना जाता है कि गुरुनानक देव तिल्ला जोगियन मंदिर से लौटने के बाद यहीं पर ठहरे थे। तब यह इलाका भयंकर सूखे की चपेट में था। गुरुनानक ने पृथ्वी पर प्रहार किया और वहां एक पत्थर निकला। फिर इस स्थान पर पानी का स्रोत (चोवा) का पता चला। पिछले दिनों पाकिस्तान के पूर्वी शहर सियालकोट में प्राचीन शवला तेज सिंह मंदिर को भी 72 साल बाद खोला गया था।