शिक्षा को लेकर एक बार फिर से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड सुर्खियों में बना हुआ है। आज के दौर में स्कूलों में एडमिशन के लिए भी बहुत कम्पटीशन है और बच्चे स्कूल में दाखिला लेने के लिए बहुत मेहनत भी करते दिखाई देते हैं। अब केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) एक नया नियम लेकर आया है और इस नियम के आते ही विवाद शुरू हो गया है। निजी स्कूलों के प्राचार्यों ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के इस नए नियम को लेकर अपनी शिकायते रखना शुरू कर दिया है। निजी स्कूलों और सरकारी स्कूलों के बीच भेदभाव की खबरें तूल पकड़ रही हैं और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इसका निशाना बन रहा है।

 

निजी स्कूलों ने CBSE पर लगाया ये आरोप


दरअसल केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने एक निर्देश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि 'जिन स्कूलों में बोर्ड द्वारा तय की गई सीमा (40 विद्यार्थी प्रति क्लास) से ज्यादा दाखिले होंगे, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।' शैक्षणिक सत्र 2020 से बोर्ड का यह नियम लागू किया जागा। इस पर निजी स्कूलों के प्राचार्यों का कहना है कि 'बोर्ड उनके और सरकारी स्कूलों के बीच भेदभाव कर रहा है, जो बिल्कुल गलत है। कोई भी नियम बोर्ड से संबद्ध सभी स्कूलों पर समान रूप से लागू होने चाहिए।' केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का यह नियम निजी स्कूलों को रास नहीं आ रहा है और वह इसका विरोध भी करते नजर आ रहे हैं।


Image result for cbse


बता दें कि इस नियम के बारे में सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 'सीबीएसई बस ये चाहता है कि उसके बनाए नियमों का सभी संबद्ध स्कूलों में पालन हो। अगल निजी स्कूल तय सीमा से ज्यादा दाखिले लेते हैं, तो उन्हें शिक्षा का अधिकार (आरटीई) एक्ट के तहत सीबीएसई के नियम का उल्लंघन करने पर इसका जवाब जरूर देना होगा।' निजी स्कूलों के प्राचार्यों के भेदभाव की शिकायत पर सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कहा कि 'बोर्ड केंद्रीय विद्यालयों व अन्य सरकारी स्कूलों को इस मामले में थोड़ी छूट दे रहा है क्योंकि वे कई बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं। मुनाफा कमाने के लिए दाखिले नहीं लेते।'

 

सीबीएसई के इस फैसले से सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्य नाराज हैं और बोर्ड पर वह पक्षपात का आरोप लगा रहे हैं और उनका कहना है कि 'बोर्ड इस तरह निजी व सरकारी स्कूलों के बीच पक्षपात नहीं कर सकता। क्योंकि आरटीई एक्ट और सीबीएसई के नियम सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए बनाए गए हैं।' निजी स्कूल और सरकारी स्कूल के बिच भेदभाव का मामला खबरों का हिस्सा बना हुआ है। बता दें कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) की जानकारी बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी करते हुए दी है जिसके मुताबिक कक्षा 9वीं और 11वीं में सीबीएसई स्कूल में बच्चों को एडमिशन मिलेगा या नहीं इसमें बोर्ड अहम भूमिका निभाएगा।

Find out more: