मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कांग्रेस नेता डीके शिवकुमार की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज करते हुए उन्हें 13 सितंबर तक ईडी की हिरासत में भेज दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने डीके शिवकुमार की 14 दिन की कस्टडी मांगी थी। ईडी की कस्टडी में रोज आधा घंटे परिजन और वक़ील डी के शिवकुमार से मिल सकते हैं। इससे पहले कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।



सुनवाई के दौरान अडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) केे एम नटराजन ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग को जांच के दौरान विभिन्न जगहों से कई अहम दस्तावेज और पैसे मिले हैं। डीके शिवकुमार के वकील ने कोर्ट में दो अर्जी दाखिल की थीं। पहली अर्जी में रिमांड को चुनौती दी गई और दूसरी में जमानत याचिका दाखिल की गई थी।



एएसजी ने रखी यह दलील
एएसजी ने कहा, डीके शिवकुमार को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया गया है। कैश जिस तरीके से मिला है उससे साफ जाहिर होता है कि इन्होंने अपने पद का फायदा उठाया। इनके साले का भी बयान लिया गया। इनकी संपत्ति में बेहिसाब बढ़ोतरी हुई है, जांच अभी नाजुक मोड़ पर है।



ईडी की ओर से पेश एएसजी ने कहा, आरोपी को कस्टडी में लेकर पूछताछ करना बहुत जरूरी है। हमें जांच के दौरान कई लोगों से आरोपी का आमना-सामना कराना है। ताकि मामले का निष्कर्ष सही तरीके से निकले। इसके अलावा आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। वो जांच को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।



'दे रहे गोलमोल जवाब'
उन्होंने कहा, जांच के दौरान जब मिले कैश के बारे में पूछा गया तो गोल मटोल जवाब देते हैं। इसलिए हमें 14 दिन की कस्टडी चाहिए, जो बहुत जरूरी है।कोर्ट के आगे ईडी ने कहा कि हमने इस मामले में जानकारी सीबीआई के साथ भी साझा की है। हमारे पास इतने सबूत है कि आरोपी को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक कानून (PMLA) के तहत सजा हो सकती है।



सिंघवी बोले-स्वतंत्रता दांव पर
वहीं डीके शिवकुमार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, आरोपी की स्वतंत्रता दांव पर है। अफसर शाम 4 बजे रेडिमेड एप्लिकेशन के साथ कोर्ट में पेश होते हैं। सिंघवी ने कहा, जांच अधिकारी के पास इस केस में अपने सवाल नहीं होते। उन्हें सवाल दिए जाते हैं। 4 दिन लगातार 34 घंटे पूछताछ की गई है। आरोपी जांच में शामिल हुए। 3 सितंबर को 9 घंटे की पूछताछ के बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार किया, जो कैश मिला था, वह आईटी डिपार्टमेंट की रेड में मिला था।



सिंघवी ने कहा, 2 अगस्त की रेड के बाद आयकर विभाग ने शिकायत दी और उसके बाद ये जांच हुई है। रिमांड एप्लिकेशन में केवल इनकम टैक्स लिखा हुआ है। इस शिकायत को कोर्ट में चुनौती दी गई है। निचली अदालत से हमें झटका लगा और फिर हम हाई कोर्ट गए और हाई कोर्ट ने इस पूरे मामले में स्टे दे दिया।



'एजेंसी हर मामले में कर रही ऐसा'
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, आजकल एजेंसी हर मामले में ऐसा कर रही है। रिमांड पेपर में कहते हैं कि सहयोग नहीं कर रहे हैं, क्या वह ईडी के दफ्तर में ऐसे ही चले जाते है? 33 घंटे से ज्यादा की पूछताछ हो चुकी है। आप उनका स्टेटमेंट मंगा लीजिए। क्या किसी सवाल पर डीके शिवकुमार ने जवाब देने से इनकार कर दिया। सच्चाई क्या होती है? कोई जांच अधिकारी बता पाएगा कौन सच बोल रहा है।



'शिवकुमार को खाना तक नहीं मिला'
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आरोपी को किसी भी शर्त पर जमानत मिलनी चाहिए। आरोपी की न्यायिक हिरासत का कोई मतलब नही है, आरोपी जमानत की मांग कर रहा है। आज अस्पताल में आरोपी को रखा गया। आरोपी को लो बीपी, हाई शुगर, थायरॉइड जैसी बीमारियां हैं। एक डॉक्टर अस्पताल में रहने की सलाह दे रहा था तो दूसरा उसे ले जाने को बोल रहा था। आज आरोपी को खाना तक नहीं दिया गया। एक साथ तीन अधिकारियों ने आरोपी से पूछताछ की है।



बता दें कि डीके शिवकुमार को ईडी ने मंगलवार को मनी लॉन्ड्रिंग केस में गिरफ्तार किया है। डीके शिवकुमार 2016 की नोटबंदी के दौरान चर्चा में आए थे।आयकर विभाग और ईडी लंबे समये से उनके आर्थिक लेन-देन की जांच कर रही थी। दो अगस्त, 2017 को नई दिल्ली स्थित आवास पर आयकर ने छापा मारा था, जिसमें 8.59 करोड़ रुपये नकद जब्त किए गए थे।
इसके बाद आयकर विभाग ने कांग्रेस नेता और उनके चार दूसरे सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आयकर विभाग के आरोपपत्र के आधार पर ईडी ने शिवकुमार के खिलाफ धनशोधन का मामला दर्ज किया था। डीके शिवकुमार ने कहा है कि कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा उनके खिलाफ राजनैतिक बदले की भावना से काम कर रहे हैं।


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