जिस देश में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता का दर्जा मिला हुआ है उस देश को पिछले कुछ वर्षो से बापू के विचारों के अनुरूप ढालने का भरसक प्रयास किया जा रहा है। बताते चलें कि बापू स्वच्छता के बहुत बड़े अनुयाई थे और उनके दौर में प्लास्टिक कचरे की समस्या कम थी। फिर भी वे गंदगी को खत्म करने और साफ-सफाई, स्वच्छता को बढ़ाने के लेकर बहुत सक्रिय रहते थे। वे कहते थे- राजनीतिक स्वतंत्रता से ज्यादा जरूरी स्वच्छता है। यदि कोई व्यक्ति स्वच्छ नहीं है तो वह स्वस्थ नहीं रह सकता है। बेहतर साफ-सफाई से ही भारत के गांवों को आदर्श बनाया जा सकता है। नदियों को साफ रखकर हम अपनी सभ्यता को जिंदा रख सकते हैं। स्वच्छता को अपने आचरण में इस तरह अपना लो कि वह आपकी आदत बन जाए। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भले ही आज हमारे बीच सशरीर नहीं हैं लेकिन उनके विचार आज भी हमारे लिए प्रेरणास्नोत हैं। उन पर अमल करके हम आज भी दुनिया की बड़ी से बड़ी समस्याओं का आसान समाधान खोज सकते हैं। वे खुद के काते सूत से कपड़े पहनते थे और दूसरों को ऐसा करने के लिए प्रेरित करते थे।


आज भी किसी गांधीवादी को देखिए तो कपड़े का झोला कंधे पर जरूर लटका होता है। प्रकृति को संरक्षित कर अपनी अधिकांश जरूरतें उसी से पूरी करने पर उन्होंने हमेशा जोर दिया। जरूरतों को भी संयमित और नियंत्रित करने पर हमेशा बल रहा। कृत्रिम और रासायनिक उत्पादों के इस्तेमाल से बचने की सलाह प्रमुखता में रही। उनके इन विचारों को आत्मसात करते तो शायद प्लास्टिक का आज अंबार नहीं लगता। कहते हैं जब से जागो तभी सवेरा। अभी भी कुछ बिगड़ा नहीं है। महात्मा की 150वीं जयंती से बड़ा पवित्र मौका और क्या हो सकता है जब हम उनके बताए रास्ते पर चलकर प्लास्टिक कचरे समेत देश की तमाम बड़ी समस्याओं का समाधान तलाशने का संकल्प लें।


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ये देश प्लास्टिक से पा रहे निजात


फ्रांस
इस देश ने 2016 में प्लास्टिक पर बैन लगाने का कानून पारित किया। इसके तहत प्लास्टिक की प्लेटें, कप और सभी तरह के बर्तनों को 2020 तक पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाएगा। फ्रांस पहला देश है जिसने प्लास्टिक से बने रोजमर्रा की जरूरत के सभी उत्पादों को पूरी तरह बैन किया है। इस कानून के तहत प्लास्टिक उत्पादों के विकल्प के तौर पर जैविक पदार्थो से बने उत्पादों को इस्तेमाल किया जाएगा।


रवांडा
अन्य विकासशील देशों की तरह यहां भी प्लास्टिक की थैलियों ने जल निकासी के रास्ते अवरुद्ध कर दिए थे जिससे यहां के इकोसिस्टम को नुकसान पहुंचने लगा था। इस विकट स्थिति से निपटने के लिए यहां की सरकार ने देश से प्राकृतिक रूप से सड़नशील न होने वाले सभी उत्पादों को बैन कर दिया। यह अफ्रीकी देश 2008 से प्लास्टिक मुक्त है।


स्वीडन
यहां प्लास्टिक बैन नहीं किया गया है बल्कि प्लास्टिक को अधिक से अधिक रिसाइकिल किया जाता है। यहां किसी भी तरह का कचरा रिसाइकिल करके बिजली बनाई जाती है। इसके लिए यह पड़ोसी देशों से कचरा खरीदता है।


आयरलैंड
देश ने 2002 में प्लास्टिक बैग टैक्स लागू किया जिसके तहत लोगों को प्लास्टिक बैग इस्तेमाल करने पर भरी भरकम टैक्स चुकाना पड़ता था। इस कानून के लागू होने के कुछ दिन बाद ही वहां प्लास्टिक बैग के इस्तेमाल में 94 फीसद कमी आ गई।

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