नयी दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार की ओर से लिया गया एक फैसला पाकिस्तान समेत सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के लिए महंगा पड़ सकता है। दरअसल, मोदी सरकार पारदर्शी कांच की चद्दरों के आयात पर वर्तमान डंपिंग रोधी शुल्क को जारी रख सकती है। वाणिज्य मंत्रालय ने इस शुल्क को जारी रखने की सिफारिश की है।


ऐसे कांच की चद्दरों का उपयोग खिड़की, दरवाजों और वाहनों आदि में होता है। मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (DGTR) ने इस सम्बन्ध में अपनी जांच पूरी करने के बाद इस शुल्क को बनाए रखने की सिफारिश की है।  DGTR ने कहा है कि अगर डंपिंग रोधी शुल्क को हटाया जाता है तो इसकी डंपिंग से घरेलू उद्योग को नुकसान के पूरे आसार है। इसी को देखते हुए डीजीटीआर ने पाकिस्तान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात से पारदर्शी कांच की चद्दरों के इम्पोर्ट पर डंपिंग रोधी शुल्क को जारी रखने की सिफारिश की है। पारदर्शी कांच की चद्दरों पर वर्तमान डंपिंग रोधी शुल्क दिसंबर में समाप्त हो रहा है।


आपको बता दें कि घरेलू कंपनियों जैसे सैंट गोबेन इंडिया, सीसेकैम फ्लैट ग्लास इंडिया लि. और गोल्ड प्लस ग्लास इंडस्ट्री लि. ने मार्च, 2019 में घरेलू उद्योगों की ओर इस शुल्क को बनाए रखने के लिए आवेदन किया था। DGTR ने 25.59 से 165 डॉलर प्रति टन के डंपिंग रोधी शुल्क का प्रस्ताव दिया है।


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