प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने भारत की जनगणना-2021 की प्रक्रिया शुरू करने और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने को मंजूरी दे दी है. एनपीआर अपडेशन में असम को छोड़कर देश की बाकी आबादी को शामिल किया जाएगा. नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर चल रहे घमासान के बीच एनपीआर की प्रक्रिया को मंजूरी ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है. विपक्षी दलों की तरफ से एनपीआर को एनआरसी की दिशा में पहला कदम बताया जा रहा है. हालांकि, सरकार ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि एनपीआर और एनआरसी का आपस में कोई लेना-देना नहीं है और न ही इससे किसी की नागरिकता को कोई खतरा है.
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पहली बार 2010 में तैयार किया गया था. इसके दो प्रमुख उद्देश्य बताए गए थे. पहला- देश के सभी निवासियों के व्यक्तिगत ब्योरे का इकट्ठा करना. दूसरा-ग्रामीण और नगरीय क्षेत्र के 15 साल और इससे ज्यादा उम्र के सभी निवासियों के फोटोग्राफ और अंगुलियों की छाप लेना. 2010 के इस राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर को बनाने के लिए 15 बिंदुओं पर डेटा इकट्ठा किया गया था.
1- व्यक्ति का नाम
2- मुखिया से संबंध
3- पिता का नाम
4- माता का नाम
5- पत्नी/पति का नाम
6- लिंग
7- जन्मतिथि
8- वैवाहिक स्थिति
9- जन्म स्थान
10- घोषित राष्ट्रीयता
11- सामान्य निवास का वर्तमान पता
12- वर्तमान पते पर रहने की अवधि
13- स्थायी निवास का पता
14- व्यवसाय/कार्यकलाप
15- शैक्षणिक योग्यता
नए NPR यानी 2020 में आने वाले NPR में आठ नए बिंदु जोड़े गए हैं. जबकि पिता का नाम, माता का नाम और पत्नी/पति का नाम एक ही सवाल में निहित कर दिया गया है. इस तरह नए NPR में कुल 21 बिंदुओं पर जानकारी मांगी जाएगी, जिनमें ये आठ नए बिंदु जोड़े गए हैं.
1- आधार नंबर (इच्छानुसार)
2- मोबाइल नंबर
3- माता-पिता का जन्मस्थान और जन्मतिथि
4- पिछला निवास पता (पहले कहां रहते थे)
5- पासपोर्ट नंबर (अगर भारतीय हैं तो)
6- वोटर आईडी कार्ड नंबर
7- पैन नंबर
8- ड्राइविंग लाइसेंस नंबर
यानी ये तमाम जानकारियां देश में रहने वाले सभी लोगों (असम को छोड़कर) से पूछी जाएंगी और इनके आधार पर राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर अपडेट किया जाएगा. इस नए एनपीआर में माता-पिता के जन्मस्थान वाला पहलू काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विपक्षी दल एनपीआर की प्रक्रिया को एनआरसी का ही कदम बता रहे हैं, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने यह आश्वस्त किया है कि एनपीआर और एनआरसी अलग-अलग है और एनपीआर से किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है, यह सिर्फ देश में रहने वाले लोगों का एक रजिस्टर है. अमित शाह ने ये भी कहा है कि अगर किसी का नाम NPR में रह भी जाता है तो भी उसकी नागरिकता नहीं जाएगी.
सरकारी सूत्र ये भी दावा कर रहे हैं कि नए एनपीआर के फॉर्म को अब तक जारी नहीं किया गया है और मीडिया में जो फॉरमेट दिखाया जा रहा है वो पूरी तरह सही नहीं है. सरकार रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के लिए फॉर्म और एप दोनों की मदद लेगी. इस प्रक्रिया के दौरान कोई कागजात या बायोमिट्रिक नहीं मांगा जाएगा. ये पूरी प्रक्रिया सेल्फ सर्टिफिकेशन की होगी. सरकार का ये भी कहना है कि आधार नंबर, माता-पिता का जन्मस्थान बताना भी वैकल्पिक और स्वैच्छिक होगा.
कब शुरू होगी जनसंख्या रजिस्टर अपडेट करने की प्रक्रिया
सरकार की तरफ से बताया गया है कि जनसंख्या गणना का काम दो चरणों में किया जाएगा. पहले चरण के तहत अप्रैल-सितंबर 2020 तक प्रत्येक घर और उसमें रहने वाले व्यक्तियों की सूची बनाई जाएगी और इसी के साथ एनपीआर रजिस्टर को अपडेट करने का काम भी किया जाएगा. जबकि दूसरे चरण में 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 तक पूरी जनसंख्या की गणना का काम होगा. यानी जनसंख्या रजिस्टर का काम जनगणना के पहले चरण के साथ अप्रैल 2020 में शुरू किया जाएगा.