एयर इंडिया के पायलटों ने सरकार से कहा है कि उनके बकाया भत्तों का भुगतान जल्द किया जाए। साथ ही मांग की है कि बिना नोटिस पीरियड एयरलाइन छोड़ने की इजाजत दी जाए, उनसे बंधुआ मजदूरों जैसा बर्ताव नहीं होना चाहिए। बता दें एयर इंडिया के पायलटों को नौकरी छोड़ने के 6 महीने पहले नोटिस देना होता है। एयरलाइन के 800 पायलटों के संघ इंडियन कमर्शियल पाटलट्स एसोसिएशन (आईसीपीए) ने सरकार को चेतावनी दी है कि एयरलाइन के भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं की वजह से सब्र टूट रहा है, हम काम करने की स्थिति में नहीं हैं।

 

 


पायलटों को अक्टूबर का फ्लाइंग अलाउंस अब तक नहीं मिला: रिपोर्ट
आईसीपीए ने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखकर उनके एक बयान का जिक्र किया है। आईसीपीए ने कहा- आपका यह बयान चिंताजनक है कि 31 मार्च 2020 तक एयर इंडिया का निजीकरण नहीं हो पाया तो एयरलाइन बंद करनी पड़ेगी। बता दें पुरी ने पिछले महीने कहा था कि एयर इंडिया का विनिवेश नहीं करेंगे तो इसे चलाने के लिए पैसे कहां से आएंगे। आईसीपीए ने इसी संदर्भ में चिंता जताई है।

 

 

उड्डयन मंत्री को लिखे पत्र के मुताबिक पायलटों को अक्टूबर का फ्लाइंग अलाउंस अब तक नहीं मिला है। उन्होने कहा- हम बंद हो चुकी 21 प्राइवेट एयरलाइंस के कर्मचारियों जैसी स्थिति का सामना नहीं करना चाहते, जिससे देश में बेरोजगारी बढ़े। बीते 2-3 साल से हम अनिश्चितता में हैं। कई कर्मचारी लोन की किश्त और दूसरे भुगतान नहीं कर पा रहे। ऐसे हालातों में हमारा और परिवार का जीवन प्रभावित हो रहा है।

 

 

एयर इंडिया पर 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। सरकार एयरलाइन की पूरी हिस्सेदारी बेचने कोशिशों में जुटी है। पिछले साल 76% शेयर बेचने की योजना थी, लेकिन कोई खरीदार नहीं मिला। इस साल बोली की शर्तों में ढील देकर 100% हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई गई। मार्च 2020 तक एयर इंडिया के निजीकरण की योजना है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें देरी होने के आसार हैं।

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