विदेश मंत्रालय, नागरिक उड्डयन मंत्रालय, एयर इंडिया, राज्य सरकारों और विदेशों में भारतीय मिशनों के समन्वय के साथ, विदेशों में भारतीय नागरिकों की निकासी के लिए योजना शुरू कर चुका है जो स्वदेश लौटने की तलाश में हैं। सरकारी सूत्रों ने कहा कि परामर्श जारी होने के बाद, भारतीयों को देशव्यापी तालाबंदी के बाद ही वापस ले जाया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि विदेश में फंसे भारतीय को वापस लाने के लिए विशेष उड़ानों और नियमित उड़ानों का ही सहारा लिया जाएगा, लेकिन लॉकडाउन की स्थिति के आधार पर अलग-अलग राज्यों के लिए इसे अलग-अलग तरीकों से अमल में लाया जाएगा. इसके लिए नागरिकों को टिकटों के पैसे देने होंगे.
बता दें कि बीते 24 मार्च से हजारों भारतीय विदेशों में फंसे हैं, खासतौर पर खाड़ी देशों में. उधर, खाड़ी देशों द्वारा अपने नागरिकों को वापस ले जाने के लिए भारतीय राजनयिकों पर दबाव डाला जा रहा है.
उन क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की वापसी के लिए भारत में विशेष रूप से राजनीतिक मांगें आई हैं खासतौर पर केरल से. इस मुद्दे पर विदेश मंत्रालय राज्य सरकारों और विदेश में स्थित भारतीय मिशन के साथ मिलकर काम कर रहा है और जो भारतीय वापस लौटना चाह रहे हैं उनका पंजीकरण करवा रहा है. कई देशों में फंसे भारतीयों को वापस लाया जाएगा, लेकिन उड़ान टिकटों के पैस नागरिकों को खुद वहन करने पड़ेंगे.
लॉकडाउन की वजह से सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर रोक लगी हुई है. भारत ने लॉकडाउन लागू होने से पहले विदेशों में फंसे कई भारतीय नागरिकों को वापस लाया है. COVID-19 के प्रसार को कम करने के लिए भारत में एक महीने से अधिक समय से लॉकडाउन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 3 मई तक लॉकडाउन बढ़ाया गया है, क्योंकि अत्यधिक संक्रामक रोगों के मामले बढ़ गए थे. देश में अभी 26,000 से अधिक कोरोनोवायरस के मामले हैं, 824 लोगों की मौत हो चुकी है.