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चार संग्रहालय दीर्घाओं को अनावश्यक और कम उपयोग वाली इमारतों के अनुकूली पुन: उपयोग के माध्यम से बनाया गया है। दीर्घाएं उस अवधि के दौरान पंजाब में सामने आई घटनाओं के ऐतिहासिक मूल्य को प्रदर्शित करती हैं, जिसमें प्रोजेक्शन मैपिंग और 3 डी प्रतिनिधित्व के साथ-साथ कला और मूर्तिकला प्रतिष्ठानों सहित ऑडियो-विजुअल तकनीक का संलयन होता है।
जलियांवाला बाग वह जगह है जिसने भारत की आजादी के लिए अनगिनत क्रांतिकारियों, बलिदानियों, सरदार उधम सिंह, सरदार भगत सिंह जैसे सेनानियों को मरने का साहस दिया। 13 अप्रैल 1919 के वे 10 मिनट हमारे स्वतंत्रता संग्राम की गाथा बने, जिसके कारण आज हम स्वतंत्रता का पर्व मना पा रहे हैं। आजादी के 75वें वर्ष में जलियांवाला बाग स्मारक का आधुनिक स्वरूप प्राप्त करना हम सभी के लिए एक महान प्रेरणा का अवसर है। हमने भारत के विभाजन के समय जलियांवाला बाग जैसा एक और आतंक भी देखा है। पंजाब के मेहनती और जिंदादिल लोग बंटवारे के सबसे बड़े शिकार रहे हैं। भारत के हर कोने में और खासकर पंजाब के परिवारों में विभाजन के समय जो हुआ उसका दर्द हम आज भी महसूस करते हैं।
अपने अतीत की ऐसी भयावहता को नज़रअंदाज करना किसी भी देश के लिए सही नहीं है। इसलिए, भारत ने हर साल 14 अगस्त को 'विभजन विभिषिका स्मृति दिवस' के रूप में मनाने का फैसला किया है। आज दुनिया में कहीं भी कोई भारतीय संकट में है तो भारत उसकी पूरी ताकत से मदद के लिए खड़ा है। कोरोना काल हो या अफगानिस्तान का संकट, दुनिया ने इसे लगातार अनुभव किया है। ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अफगानिस्तान से सैकड़ों लोगों को भारत लाया जा रहा है।
हमारे स्वतंत्रता संग्राम में हमारे आदिवासी समाज का बहुत बड़ा योगदान रहा है। इतिहास की किताबों में इसे उतना स्थान नहीं मिला जितना मिलना चाहिए था। देश के 9 राज्यों में आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों और उनके संघर्ष को दर्शाने वाले संग्रहालयों पर अभी काम चल रहा है। देश की यह भी आकांक्षा थी कि सर्वोच्च बलिदान देने वाले हमारे सैनिकों के लिए एक राष्ट्रीय स्मारक हो। मुझे संतोष है कि राष्ट्रीय युद्ध स्मारक आज के युवाओं में राष्ट्र की रक्षा करने और देश के लिए अपना सब कुछ न्यौछावर करने की भावना पैदा कर रहा है।