प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को इफको, कलोल में निर्मित नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन किया। नैनो यूरिया के उपयोग से फसल की पैदावार में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए अल्ट्रामॉडर्न नैनो फर्टिलाइजर प्लांट की स्थापना की गई है। प्लांट से रोजाना करीब 1.5 लाख 500 एमएल बोतल का उत्पादन होगा। गांधीनगर के महात्मा मंदिर में सहकार से समृद्धि विषय पर एक संगोष्ठी भी हुई जिसमें विभिन्न सहकारी संस्थाओं के नेताओं ने भाग लिया। संगोष्ठी में राज्य के विभिन्न सहकारी संस्थानों के 7,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

आज हम एक आदर्श सहकारी गांव की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गुजरात के छह गांवों को चिन्हित किया गया है जहां सहकारिता की पूरी व्यवस्था की जाएगी।  मुझे आज नैनो यूरिया (तरल) संयंत्र का उद्घाटन करते हुए खुशी हुई। इससे परिवहन लागत कितनी कम हो जाएगी और छोटे किसानों को लाभ होगा। इस प्लांट की क्षमता 1.5 लाख बोतलों के निर्माण की है, लेकिन आने वाले समय में भारत में ऐसे 8 और प्लांट स्थापित किए जाएंगे पीएम ने कहा।

भारत उर्वरकों का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता और उर्वरक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 7-8 साल पहले अधिकांश यूरिया हमारे खेतों तक नहीं पहुंच पाता था और कालाबाजारी के कारण नष्ट हो जाता था। नई तकनीकों की कमी के कारण यूरिया कारखाने बंद थे।


2014 में हमारी सरकार बनने के बाद, हमने यूरिया की 100% नीम कोटिंग की। इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चित हुआ। हमने यूपी, बिहार, झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना में बंद पड़ी 5 फर्टिलाइजर फैक्ट्रियों को फिर से शुरू करने का काम किया। यूपी और तेलंगाना की फैक्ट्रियों ने भी उत्पादन शुरू कर दिया है। शेष 3 बहुत जल्द उत्पादन शुरू कर देंगे ,पीएम ने कहा।

डेयरी क्षेत्र के सहकारी मॉडल का उदाहरण हमारे सामने है। आज भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसमें गुजरात का बड़ा हिस्सा है। पिछले वर्षों में डेयरी क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी अधिक योगदान दे रहा है। आज भारत में एक दिन में करीब 8 लाख करोड़ रुपये का दूध पैदा होता है। गेहूं और चावल के बाजार को मिला दें तो भी दूध उत्पादन से कम है ,पीएम मोदी।

भारत विदेश से यूरिया का आयात करता है, जिसमें 50 किलो यूरिया की एक बोरी की कीमत 3,500 रुपये है। लेकिन देश में यूरिया की एक ही बोरी सिर्फ 300 रुपये में किसानों को दी जाती है। हमारी सरकार यूरिया की एक बोरी पर 3,200 रुपये का भार वहन करती है। हमने तमाम मुश्किलों का सामना करने की कोशिश की है लेकिन अपने किसानों को पीड़ित नहीं होने दिया।


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