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राज्य के शिक्षा सचिव मनीष जैन ने अपनी पीठ को सूचित किया कि पश्चिम बंगाल कैबिनेट द्वारा कथित रूप से अवैध रूप से नियुक्ति पाने वालों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त शिक्षकों के पद सृजित करने का निर्णय लिया गया था और राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु द्वारा आदेश दिया गया था। इसके बाद, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने सवाल किया कि अवैध रूप से नियुक्त अपात्र उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल इस तरह का निर्णय कैसे ले सकता है।
राज्य मंत्रिमंडल को यह घोषणा करनी होगी कि वे अवैध नियुक्तियों के समर्थन में नहीं हैं और अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए 19 मई को अधिसूचना भी वापस ले लें। अन्यथा मैं ऐसा निर्णय लूंगा जो देश में अभूतपूर्व है। मुझे लगता है कि या तो लोकतंत्र सही हाथों में नहीं है या लोकतंत्र संपत्ति में समृद्ध नहीं हुआ है।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, यदि आवश्यक हुआ, तो मैं पूरे राज्य मंत्रिमंडल को मामले में एक पक्ष बनाऊंगा और मंत्रिमंडल के प्रत्येक सदस्य को बुलाऊंगा। यदि आवश्यक हुआ, तो मैं उन सभी को कारण बताओ नोटिस जारी करूंगा। सुनवाई के दौरान जैन को न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय के सवालों की बौछार का सामना करना पड़ा।