भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और अन्य न्यायाधीशों की उपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट में संविधान दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत के संविधान और संस्थानों का भविष्य युवाओं के कंधों पर टिका है। मोदी ने कहा कि संविधान सभा में 15 महिला सदस्य थीं, जिनमें से एक दक्षिणायिनी वेलायुधन थीं - एक महिला जो एक वंचित समाज से आई थी। मोदी ने कहा कि उन्होंने दलितों और मजदूरों से जुड़े कई विषयों पर अहम दखल दिया है।

दुर्गाबाई देशमुख, हंसा मेहता, राजकुमारी अमृत कौर और कई अन्य महिला सदस्यों ने भी महिलाओं से जुड़े विषयों पर महत्वपूर्ण योगदान दिया था। उनके योगदान पर शायद ही कभी चर्चा की जाती है, उन्होंने रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि संविधान की एक और विशेषता है जो आज के समय में और भी प्रासंगिक हो गई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान निर्माताओं ने हमें एक ऐसा दस्तावेज दिया है जो खुला, भविष्यवादी और आधुनिक दृष्टि के लिए जाना जाता है, जो इसे युवा केंद्रित बनाता है।

उन्होंने कहा कि युवा शक्ति भारत के विकास के हर पहलू में अपनी छाप छोड़ रही है, चाहे वह खेल हो या स्टार्टअप, सूचना प्रौद्योगिकी हो या डिजिटल भुगतान। उन्होंने कहा कि युवाओं में संविधान की समझ बढ़ाने के लिए जरूरी है कि वे संवैधानिक विषयों पर बहस और चर्चा का हिस्सा बनें। मोदी ने कहा, इससे संविधान में उनकी रुचि और बढ़ेगी। यह समानता और सशक्तिकरण जैसे विषयों को समझने के लिए युवाओं के बीच एक दृष्टि पैदा करेगा।

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