शहरी नियोजन अगले कुछ वर्षों में हमारे शहरों के भाग्य का निर्धारण करेगा और केवल सुनियोजित शहर ही भारत के भाग्य का निर्धारण करेंगे, उन्होंने दोहराया। मोदी ने कहा कि भारत के नए शहरों को कचरा मुक्त, पानी सुरक्षित और जलवायु के अनुकूल होना चाहिए, यह सूचित करते हुए कि 2014 में केवल 14-15 प्रतिशत की तुलना में आज 75 प्रतिशत कचरे को संसाधित किया जा रहा है।
शहरी कनेक्टिविटी की बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेट्रो नेटवर्क कनेक्टिविटी के मामले में भारत कई देशों को पीछे छोड़ चुका है। सरकार जो योजनाएं और नीतियां बना रही है, वे न केवल शहरों के लोगों के जीवन को आसान बनाएं है बल्कि उनके स्वयं के विकास में भी मदद कर रहे है।
प्रधानमंत्री ने विशेषज्ञों से नवीन विचारों के साथ आने का अनुरोध किया और उस भूमिका पर प्रकाश डाला जो वे जीआईएस-आधारित मास्टर प्लानिंग, विभिन्न प्रकार के नियोजन उपकरणों के विकास, कुशल मानव संसाधन और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में निभा सकते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि शहरी स्थानीय निकायों को उनकी विशेषज्ञता की बहुत आवश्यकता होगी जिससे कई अवसर पैदा होंगे।