संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन, राज्यसभा ने सोमवार को डाकघर विधेयक, 2023 पारित कर दिया, जिसमें 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम को निरस्त करने का प्रावधान है। यह देश में डाकघरों से संबंधित कानून को समेकित और संशोधित करने का भी प्रयास करता है।

विधेयक के कुछ प्रावधानों को लेकर विपक्षी सदस्यों ने कुछ सवाल भी उठाए और पूछा कि क्या सरकार निगरानी राज्य बनाना चाहती है। हालांकि, सरकार ने सदस्यों की आशंकाओं को खारिज कर दिया। संचार राज्य मंत्री देवुसिंह चौहान ने कहा कि प्रावधान राष्ट्रीय सुरक्षा के कारणों से किए गए हैं और डाकघर विधेयक के पिछले संस्करण में भी इसी तरह के प्रावधान थे।

संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव के जवाब के बाद विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। मंत्री ने कहा, यह नया कानून पिछले नौ वर्षों में डाकघरों और डाक संस्थानों को पुनर्जीवित करने के तरीके का प्रतिबिंब है।

प्रस्तावित कानून के अनुसार, केंद्र सरकार, अधिसूचना द्वारा, किसी भी अधिकारी को राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने का अधिकार दे सकती है। या उस समय लागू किसी भी कानून के किसी भी प्रावधान के उल्लंघन की घटना पर।

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