झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ शुक्रवार (2 फरवरी) को झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री की याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हुई। सोरेन की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी ने शीर्ष अदालत को बताया कि नेता इस मुद्दे पर झारखंड उच्च न्यायालय से अपनी याचिका वापस ले लेंगे।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री को उनके पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया था। कथित भूमि धोखाधड़ी मामले से संबंधित सात घंटे से अधिक की पूछताछ के बाद गिरफ्तारी हुई। सोरेन को आज अदालत में पेश किये जाने की संभावना है। उम्मीद है कि जांच एजेंसी सोरेन की हिरासत मांगेगी और वास्तविक झामुमो प्रमुख के खिलाफ जुटाए गए सबूत पेश करेगी। दूसरे दौर की पूछताछ के दौरान, एजेंसी ने सोरेन से 15 सवाल पूछे, जिनसे शुरुआत में 20 जनवरी को पूछताछ की गई थी।

इससे पहले बुधवार को, सोरेन ने सोमवार को अपने दिल्ली आवास पर एजेंसी द्वारा की गई तलाशी को लेकर ईडी कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। प्राथमिकी में सोरेन ने आरोप लगाया कि जांच एजेंसी ने उन्हें और उनके पूरे समुदाय को परेशान करने और बदनाम करने के लिए तलाशी ली।

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