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ओवैसी ने कहा कि कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान नागरिकता अधिनियम, 1955 (क्योंकि यह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित है) की धारा 6 बी के तहत नागरिकता का दर्जा देने की मांग करने वाले किसी भी आवेदन पर सरकार द्वारा विचार या कार्रवाई नहीं की जाएगी। ओवैसी ने दावा किया कि सीएए को एनपीआर (राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर) और एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के साथ जोड़कर देखा जाना चाहिए।
यह कहते हुए कि वह पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं और सिखों को नागरिकता देने के खिलाफ नहीं हैं। भारत में करोड़ों मुसलमान राज्यविहीन हैं, उन्होंने आरोप लगाया। ओवैसी ने कहा, हैदराबाद के लोग सीएए के खिलाफ वोट करेंगे और चुनाव में बीजेपी को हराएंगे।