दिल्ली उच्च न्यायालय ने लोकसभा चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए कथित तौर पर सांप्रदायिक रूप से विभाजनकारी भाषण देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग वाली याचिका सोमवार को खारिज कर दी।

न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने टिप्पणी की कि याचिका में योग्यता नहीं है और यह गलत धारणा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत के चुनाव आयोग के पास कानून के अनुसार याचिकाकर्ता की शिकायत का स्वतंत्र रूप से आकलन करने का अधिकार है। इस अदालत को याचिका में कोई योग्यता नहीं मिली। तदनुसार याचिका खारिज की जाती है, अदालत ने कहा।

अदालत ने प्रधानमंत्री द्वारा दिए गए एक भाषण से संबंधित याचिका में दिए गए अपने पिछले आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें कथित तौर पर धर्म और देवताओं के नाम पर वोट मांगे गए थे। इसमें आगे कहा गया है कि ऐसे मामलों में कोई भी पूर्वधारणा बनाना अनुचित है।
 
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि उसने सभी राजनीतिक दलों को एक विस्तृत सलाह जारी की है। इसमें कहा गया कि जवाब पर जरूरत पड़ने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि चुनाव आयोग के पास अलग-अलग राजनेताओं के खिलाफ कार्रवाई के लिए अलग-अलग मानक नहीं हो सकते।


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