दलित नेताओं ने राज्यों को आरक्षण के उद्देश्य से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के भीतर उप-वर्गीकरण बनाने की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बारे में आशंका व्यक्त की, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के एससी/एसटी सांसदों के 70 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। क्रीमी लेयर को बाहर करने के लिए न्यायालय की टिप्पणियों पर विचार किया जाएगा।

केंद्रीय सूचना एंव प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शुक्रवार (09 अगस्त) को कहा कि भीम राव आंबेडकर के दिए संविधान में में ‘मलाईदार तबके’ (क्रीमी लेयर) के लिए कोई प्रावधान नहीं है.

अश्विनी वैष्णव ने केंद्रीय मंत्रिमंडल के लिए गए निर्णयों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रिमंडल की बैठक में सुप्रीम कोर्ट के उस हालिया फैसले पर विस्तृत चर्चा हुई जिसमें एससी और एसटी के लिए आरक्षण के संबंध में कुछ सुझाव दिए गए थे. ‘क्रीमी लेयर’ का मतलब एससी और एसटी समुदायों के उन लोगों और परिवारों से है जो उच्च आय वर्ग में आते हैं.

अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल का यह सुविचारित मत है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार संविधान के प्रावधानों के प्रति प्रतिबद्ध है. वैष्णव ने कहा, ‘‘बी आर आंबेडकर के दिए संविधान के अनुसार, एससी-एसटी आरक्षण में ‘क्रीमी लेयर’ के लिए कोई प्रावधान नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण का प्रावधान संविधान के अनुरूप होना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में 1 अगस्त को फैसला सुनाया कि राज्यों को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के भीतर क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए और उन्हें कोटा लाभों से बाहर रखना चाहिए.

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