स्थानीय भाजपा नेताओं को बैठक के लिए समय नहीं मिल पा रहा है. गौरतलब है कि बीमार पड़ने के बाद शिंदे सतारा स्थित अपने गांव से ठाणे लौट आए हैं। वापसी के एक दिन से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद उन्होंने बीजेपी नेताओं से संपर्क नहीं किया है।
एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनेंगे या नहीं बनेंगे, इस चर्चा के बीच अब कहा जा रहा है कि बात न बनने पर शिंदे बाहर से भी समर्थन देने पर विचार कर सकते हैं. महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में एकनाथ शिंदे की नई भूमिका को लेकर चल रही सभी चर्चाओं को यहां पढ़िए..
1. डिप्टी CM और बड़े विभाग लेकर खुद शामिल हो- बीजेपी खुद के पास मुख्यमंत्री का पद रखना चाहती है और हिस्सेदारी फॉर्मूला के तहत अजित पवार और एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम बनाना चाहती है. अजित पवार इस फॉर्मूले का जिक्र भी कर चुके हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे विभाग को लेकर राजी नहीं हैं.
शिंदे की कोशिश गृह विभाग लेने की है. उनके गुट की तरफ से इसकी डिमांड भी की जा चुकी है. कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे अगर गृह विभाग लेकर डिप्टी सीएम बनते हैं तो वे इसे भी अपना प्रमोशन ही दिखाएंगे.
शिंदे किसी भी स्थिति में भविष्य में मुख्यमंत्री पद की दावेदारी नहीं छोड़ना चाहते हैं. शिंदे गुट का मानना है कि देवेंद्र फडणवीस की तरह अगर वे गृह विभाग लेकर डिप्टी सीएम बनते हैं तो उनके कद में ज्यादा कटौती नहीं होगा.
महाराष्ट्र में पहले भी नारायण राणे, अशोक चव्हाण और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री से मंत्री और उपमुख्यमंत्री बन चुके हैं.
2. अपनी जगह किसी और को डिप्टी सीएम बना दें- महाराष्ट्र की सियासत में इस बात की भी चर्चा जोरों पर है. कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे विभाग बंटवारे पर अगर बात नहीं बनती है तो एकनाथ शिंदे अपनी जगह किसी और को डिप्टी सीएम बना सकते हैं.
शिंदे सेना के भीतर डिप्टी सीएम को लेकर 5 नामों की चर्चा चल रही है. पहला नाम शिंदे के सांसद बेटे श्रीकांत को लेकर है. चर्चा है कि एकनाथ अपनी कुर्सी श्रीकांत को भी सौंप सकते हैं. श्रीकांत अभी लोकसभा के सांसद हैं.
श्रीकांत के अलावा दीपक केसरकर के नाम की भी चर्चा है. रविवार को दीपक से एकनाथ शिंदे ने लंबी मंत्रणा की है. शिवसेना में बगावत के वक्त दीपक ने शिंदे की तरफ से मोर्चा संभाले हुए था.
उदय सामंत और गुलाबराव पाटिल के भी नाम की चर्चा चल रही है. पाटिल के क्षेत्र में तो इस संबंध में पोस्टर-बैनर भी लगाए गए थे.
3. सरकार को बाहर से समर्थन देने का विचार- एकनाथ शिंदे को लेकर एक चर्चा यह भी है. कहा जा रहा है कि अगर शिंदे की डिमांड सरकार में पूरी नहीं होती है, तो वे बाहर से समर्थन देने पर भी विचार कर सकते हैं.