पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के सैन्य राजनयिकों को ‘पर्सोना नॉन ग्राटा’ घोषित कर दिया है। इसका अर्थ है कि अब वे भारत में अवांछित व्यक्ति माने जाएंगे और उन्हें एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ना होगा। इस फैसले की जानकारी भारत सरकार ने पाकिस्तान के शीर्ष राजनयिक साद अहमद वड़ैच को तलब कर औपचारिक नोट सौंपते हुए दी।

CCS बैठक में लिए गए सख्त फैसले
इस निर्णय से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट सुरक्षा समिति (CCS) की बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर मौजूद रहे। बैठक में कई कड़े कूटनीतिक और प्रशासनिक निर्णय लिए गए।

भारत के उठाए गए प्रमुख कदम:
दिल्ली स्थित पाक उच्चायोग के रक्षा, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को देश छोड़ने का आदेश।

भारत के सैन्य सलाहकारों को इस्लामाबाद से वापस बुलाया जाएगा।

दोनों देशों के उच्चायोगों में तैनात पांच सहायक स्टाफ भी हटाए जाएंगे।

अटारी एकीकृत चेक पोस्ट को तत्काल प्रभाव से बंद किया गया।

सिंधु जल संधि को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया गया।

सार्क वीज़ा छूट योजना के तहत जारी सभी पाकिस्तानी वीज़ा रद्द।

भारत और पाकिस्तान के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 की जाएगी।

आतंकियों की पहचान और जिम्मेदारी
लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े प्रतिबंधित संगठन द रेज़िस्टेंस फ्रंट (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। TRF ने यह भी कहा कि कश्मीर में बाहर से आकर बसने वालों के खिलाफ यह 'कार्रवाई' है। TRF ने दावा किया कि 85,000 से अधिक गैर-कश्मीरी लोगों को डोमिसाइल दिए गए हैं, जिससे जम्मू-कश्मीर की जनसांख्यिकीय स्थिति बदल रही है।

पर्सोना नॉन ग्राटा क्या होता है?
'पर्सोना नॉन ग्राटा' एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है "अवांछित व्यक्ति"। कूटनीतिक दृष्टि से यह उस स्थिति को दर्शाता है जब कोई देश किसी विदेशी राजनयिक को स्वीकार करने से इनकार करता है और उसे अपने देश से चले जाने का औपचारिक आदेश देता है।

भारत का यह कदम इस बात का संकेत है कि वह पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कोई नरमी नहीं बरतेगा और हमले के दोषियों के साथ-साथ उनके प्रायोजकों को भी जवाबदेह ठहराया जाएगा।

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