नहाय खाय कैसे पड़ा नाम
छठ के महापर्व के पहले दिन नहाय खाय मनाया जाता है। यह कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पड़ता है, जैसा कि नाम से ही समझ आ रहा है इस दिन छठ व्रत रखने वाले श्रद्धालु स्नान करके भोजन करते हैं। आम दिनों में भी लोग स्नान करके भोजन करते हैं लेकिन इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों और नियमों का पालन करना होता है, इसलिए इसे नहाय खाय नाम दिया गया है।
– नहाय खाय करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक होता है जिससे छठ मइया का पूरा आशीर्वाद प्राप्त हो सके।
– नहाय खाय वाले दिन अपने घर को पूरी तरफ से साफ कर लेना चाहिए। सुबह उठकर नदी, तालाब, कुएं में नहाकर साफ कपड़े धारण करना चाहिए।
– यदि आपके निकट गंगा नदी है तो प्रयास करें कि इस दिन गंगा स्नान जरूर करें, ऐसा करना शुभ माना गया है।
– साफ सफाई पर विशेष ध्यान दें। पूजा की किसी भी वस्तु को जूठे या गंदे हाथों से ना छूएं।
– फिर व्रती महिलाएं और पुरुष भोजन ग्रहण करें। भोजन ग्रहण करने से पहले सूर्य भगवान को भोग लगाते हैं। इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं।
– छठ करने वाली व्रती महिला या पुरुष चने की दाल और लौकी शुद्ध घी में सब्जी बनाते और ग्रहण करते हैं। उसमें सेंधा शुद्ध नमक ही डालते हैं। घर के बाकी सदस्य भी यही खाते हैं।
– इस बात का भी ध्यान रखें कि घर के बाकी सदस्य व्रती लोगों के भोजन करने के बाद ही खाएं। घर के बाकी सदस्य भी वही खाना खाते हैं जो व्रती खाते हैं।
– नहाय खाय से छठ पर्व के आखिरी दिन तक मांस मदिरा का सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
– व्रत के दिन व्रती महिलाओं और पुरुषों को फर्श पर चादर या चटाई बिछाकर सोना चाहिए।