बांग्लादेश के खिलाफ तीन टी-20 की सीरीज के आखिरी मैच में रविवार को दीपक चाहर ने हैट्रिक सहित छह विकेट लिए थे। उनके इस प्रदर्शन पर पिता लोकेंद्र चाहर ने खुशी जताई। लोकेंद्र आगरा के बिचपुरी में चाहर एकेडमी में बच्चों को ट्रेनिंग देते हैं। दैनिक भास्कर एप प्लस से बातचीत में उन्होंने बताया कि दीपक को क्रिकेटर बनाने का सपना मैंने देखा था। मैं खुद क्रिकेटर बनना चाहता था, लेकिन दीपक के दादा जी चाहते थे मैं रेसलिंग करूँ। मैंने 4-5 साल रेसलिंग भी की, लेकिन उसमें मन नहीं लगा। जब पहली बार दीपक को गेंदबाजी करते देखा तो अपने सपने को पूरा करने के बारे में सोचा। लोकेंद्र ने बताया कि दीपक के साथ उसका छोटा भाई राहुल चाहर भी स्कूल जाता था। हमने तय किया कि इन दोनों को क्रिकेटर बनाना है। इसके लिए इन दोनों का स्कूल छुड़वा दिया। दीपक का शेड्यूल मैंने बनाना शुरू किया। हमने तय किया कि उसे कब उठना है। कितनी एक्सरसाइज करनी है, क्या खाना है और कब तक फील्ड पर रहना है।
'अब मैं बच्चों से पूछ कर शेड्यूल बनाता हूं '
दीपक के पिता ने बताया कि अब बहुत कुछ बदल गया है। पहले मैं उनका शेड्यूल तय करता था, अब वह खुद तय करते हैं। घर आने पर भी प्रैक्टिस दोनों की जारी रहती है। मैं खुद दोनों को देखता रहता हूं। ये अलग बात है उनसे पूछ कर कि उन्हें कब रेस्ट चाहिए उन्हें प्रक्टिस करवाता हूँ। लोकेंद्र चाहर ने कहा कुछ बड़ा करने के लिए संघर्ष करना ही होता है। ऐसा नहीं है कि मुझे पैसों की कमी नहीं सामने आई, लेकिन मेरे और बच्चों के सपनों को पूरा करने के लिए मेरी फैमिली ने मुझे बहुत सपोर्ट किया। हम चार भाई हैं हमारे अंकल हैं। सबने समय-समय पर मदद की है।
पिछले मैच में भी दीपक ने अच्छी गेंदबाजी की
उन्होंने बताया मैं किसी भी खिलाड़ी के खेल को टेक्निकली देखता हूं। पिछले मैच में भी दीपक ने अच्छी गेंदबाजी की थी। बाकी जो रिकॉर्ड बनते हैं वह तो भगवान ही करवाता है। खिलाड़ी के हाथ में तो बस अपना अच्छा देना होता है। रिकॉर्ड तो ऊपर से आते हैं कि किसके नाम जायेंगे। दीपक के चाचा राहुल चाहर ने बताया कि दीपक जब खेल रहा था तो हम लोग कि उम्मीद थी कि वह 1 या 2 विकेट ले लेगा, लेकिन उसने रिकॉर्ड बना दिया। यह कभी-कभी होता है। हम लोगों को भी बहुत ख़ुशी हुई। पूरा परिवार उसके प्रदर्शन से खुश है।